चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध, प्यारी को ललचाऊँ|
चाह नहीं सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूं, भाग्य पर इठलाऊं,
मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पर तू देना फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएं वीर अनेक|